OSHO explains what you should do when something happens and it's not your fault.
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NEVER BORN NEVER DIED,
ONLY VISITED THIS PLANET EARTH
BETWEEN
11 DECEMBER 1931 AND 19 JANUARY 1990
I would like more and more writers, poets, film makers to steal as much as they can, because truth is not my property, I am not its owner. let it reach in any way, in anybody's name, in any form, but let it reach. Beyond Psychology#3 Q#2 : Osho
If you really want to know who I am, you have to be as absolutely empty as I am. Then two mirrors will be facing each other, and only emptiness will be mirrored: two mirrors facing each other. But if you have some idea, then you will see your own idea in me."
"Only that which cannot be taken away by death is real. Everything else is unreal, it is made of the same stuff dreams are made of." ~OSHO♥
Friday, 9 February 2018
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कहा गया है कि मनुष्य बिना कर्म के नहीं रह सकता है तो शान्त रहना भी कर्म हुआ और कर्म बन्धन में फंस गया। शान्त रहना भी एक प्रकार से कर्म ही तो हैं। कृपया स्पष्ट समझाए।
ReplyDeleteशान्त रहना है अोैर Aware भी रहना है अोैर अपनी भितर की मन-दशा को witness भी करना है।
Deleteजिस कर्म के प्रति मन आसक्त हो जाए वह बांधता है। शांत रहने में और होने में ज़मीन आसमान का फर्क है। शांत रहने की चेष्ठा आपको शांत होने ही नहीं देगी। नाही कर्म बंधन इत्यादि से छूटने के प्रयास आपको इस दिशा में सहयोग देंगे। अपने तर्क को ज़रा और आगे ले जाने पर पाएंगे कि यह कर्म से छूटने के प्रयास भी तो कर्म है। क्या आवश्यकता है इस सब की? जो भी करें विवेकपूर्ण ढंग से करें और चीजों को सरल रखें, और इस विवेक को प्रखर बनाने के लिए ध्यान करें और बेबूझ प्रश्नोत्तरी से बचें।
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