tag:blogger.com,1999:blog-5382823029636513125.post3816288387662688731..comments2024-03-12T14:40:58.174+05:30Comments on Osho Online - Celebrating Life!: जब अपनि गल्ती ना हो तो, क्या करे (अोशो) - What to do when it's not your fault?CoolDeephttp://www.blogger.com/profile/04620122877815369159noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-5382823029636513125.post-26535425019953050262021-01-04T21:04:20.129+05:302021-01-04T21:04:20.129+05:30जिस कर्म के प्रति मन आसक्त हो जाए वह बांधता है। शा...जिस कर्म के प्रति मन आसक्त हो जाए वह बांधता है। शांत रहने में और होने में ज़मीन आसमान का फर्क है। शांत रहने की चेष्ठा आपको शांत होने ही नहीं देगी। नाही कर्म बंधन इत्यादि से छूटने के प्रयास आपको इस दिशा में सहयोग देंगे। अपने तर्क को ज़रा और आगे ले जाने पर पाएंगे कि यह कर्म से छूटने के प्रयास भी तो कर्म है। क्या आवश्यकता है इस सब की? जो भी करें विवेकपूर्ण ढंग से करें और चीजों को सरल रखें, और इस विवेक को प्रखर बनाने के लिए ध्यान करें और बेबूझ प्रश्नोत्तरी से बचें। KPhttps://www.blogger.com/profile/16006702494366897625noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5382823029636513125.post-41717636236205468372018-02-10T11:15:46.950+05:302018-02-10T11:15:46.950+05:30शान्त रहना है अोैर Aware भी रहना है अोैर अपनी भितर...शान्त रहना है अोैर Aware भी रहना है अोैर अपनी भितर की मन-दशा को witness भी करना है।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5382823029636513125.post-57127669971661254482018-02-10T05:19:13.668+05:302018-02-10T05:19:13.668+05:30कहा गया है कि मनुष्य बिना कर्म के नहीं रह सकता है ...कहा गया है कि मनुष्य बिना कर्म के नहीं रह सकता है तो शान्त रहना भी कर्म हुआ और कर्म बन्धन में फंस गया। शान्त रहना भी एक प्रकार से कर्म ही तो हैं। कृपया स्पष्ट समझाए।<br /><br />Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/11240731120868077652noreply@blogger.com